Vedas in Hindi | सम्पूर्ण वेद इन हिंदी

Vedas in Hindi | सम्पूर्ण वेद इन हिंदी

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वेद ईश्वर का सर्वोत्तम ज्ञान है, यह प्राचीन संस्कृति के वे ग्रंथ हैं जोकी सनातन धर्म को दर्शाते हैं। इनको भारतीय सांकृति में पवित्र माना गया हैं। इसको श्रद्धा ओर आस्था के साथ पढ़ना चाहिए जिसे आपको सफलता हासिल हो सके।वेद शब्द संस्कृत के विद शब्द से बना हुआ है जिसका अर्थ होता है “ज्ञान के ग्रंथ”।  इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको वेदों से जुड़ी सब प्रकार की जानकारी प्रदान करेंगे जेसे की वेद कितने हैं,4 types of,वेदों की रचना कब हुई,वेद पुराण हिंदी में ,अथर्ववेद हिंदी,वेदस इन हिंदी,वेद इन हिंदी,वेद पुराण हिंदी आदि साथ ही आप इनकी pdf भी free download करकर आसानी से इनके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।वेदों से संबंधित हिन्दू धर्म books जिसमे 64 dimensions के बारे मे बताया गया है वो भी बड़ी आसानी से आपको प्राप्त हो सकती हैं। वेदों से जुड़ी audio के द्वारा आप वेद श्रवण कर सकते हैं।

वेद क्या है ?

वेद एक ऐसे लिखित दस्तावेज है जो की प्राचीन काल के ऋषि मुनियों द्वारा लिखे गए हैं। इनका भारतीय संस्कृति में बड़ा महत्व हैं।हिन्दू धर्म में वेदों को सर्वोपरि स्थान प्राप्त है । उनके लिए वेद एक धर्म ग्रंथ है जिसके द्वारा हिन्दू धर्म के लोगों  को ज्ञान की प्राप्ति होती है।
इसके अंदर एक ऐसा ज्ञान विख्यात है जिससे मनुष्य के जीवन का अंधकार नष्ट हो जाता है ओर उसे ज्ञान की प्राप्ति होती है। इनके अंदर गणित,विज्ञान,धर्म ,औषधि,खगोल शाक्षत्र ,प्रकृति,ज्योतिष आदि विख्यात हैं जिनसे संबंधित ज्ञान का भंडार अपार हैं। इसी के अंदर मनुष्य जाती की सभी इच्छाओ को पूरे  करने के रास्ते छिपे हुए हैं परंतु जेसे हम किसी भी कार्य को करते है ओर उसमे हमारी मेहनत होती है वेसे ही वेदों का अध्ययन करने  मे भी श्रम की आवश्यकता होती है तभी हम इस ज्ञान रूपी भंडार को प्राप्त कर सकते हैं।

वेदों का इतिहास | History of Vedas

वेद मानव सभ्यता की सबसे पुरानी लिखे हुए दस्तावेज हैं । इनकी 28 हजार पांडुलिपियाँ भारत में रखी गई हैं।यह लिपियाँ पुणे के ‘भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट’ में राखी गई हैं ।ऋग्वेद की कुल 30 पांडुलिपियाँ बहुत महत्वपूर्ण बताई गई हैं जिनको UNESCO ने विश्व विरासत की लिस्ट में शामिल किया है।यूनेस्को के द्वारा इन सांस्कृतिक धरोहरों को 1800 से 1500 ई. पू. में शामिल किया गया है।
वेदों को श्रुति भी कहा गया हैं। श्रु से श्रुति शब्द का निर्माण हुआ है और यह मान्यता हैं की इनके मंत्रों को ब्रह्म ने पुरंने समय के तपस्या करने वालों को अप्रत्यक्ष रूप से सुनाया था। उन्होंने यह ज्ञान चार मुनियों को दिया जिनका नाम है अग्नि, वायु,अंगिर ओर अंतिम आदित्य।
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वेद के प्रकार | Types of Vedas

वेदों के चार प्रकार है :
  1. ऋग्वेद को आयुर्वेद
  2. यजुर्वेद को धनुर्वेद
  3. अथर्ववेद को स्थापत्यवेद
  4. सामवेद को गंधर्ववेद

4 मुख्य वेद क्या हैं | what are the 4 main vedas?

  1. ऋग्वेद Rig veda
  2. यजुर्वेद Yajur Veda
  3. सामवेद Sama Veda
  4. अथर्व वेद Atharva veda

वेद क्यों महत्वपूर्ण है | Why is the Vedas important?

वेद एक प्रकार से मंत्रों का वह ज्ञान है जो मानुष के लिए आती आवश्यक हैं।यह मानव जीवन को सुख प्राप्त कराने का सबसे महत्वपूर्ण साधन हैं। वेदों के अंदर व्यक्तिगत, पारंपरिक, सामाजिक, राष्ट्रीय, ओर अंतर्राष्ट्रीय से जुड़ा ज्ञान का भंडार हैं। यह ज्ञान सूर्य के प्रकसह की तरह saभी सृष्टि के पोषण ओर कल्याण के लिए है।यह मानव जीवन के लोककिक ओर परलोकीक उन्नति के लिए उपयोगी है।माना गया है की आर्यभट्‍ट के अनुसार महाभारत युद्ध 3137 ई. पू. में किया गया था इसी कारण यह सिद्ध होता है की वेद (6673 ईसापूर्व) काल में लिकहए गए थे।
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वेदों के उपवेद

हिन्दू धर्म के अनुसार चारों मुख्य वेदों का बखान है। इनसे निकली हुई शाखाओ रूपी वेद ज्ञान को उपवेद कहते हैं। इनके वर्गीकरण में अनेकों इतिहासकारों के अलग अलग धारणाएँ हैं। धनुर्वेद विश्वामित्र से  यजुर्वेद उपवेद का निर्माण हुआ।गन्धर्ववेद भरतमुनि से  उपवेद का निर्माण हुआ।आयुर्वेद धन्वंतरि से इसे ऋग्वेद उपवेद का निर्माण हुआ।स्थापत्य विश्वकर्मा से उपवेद का निर्माण हुआ।
  • यजुर्वेद का वेद धनुर्वेद है जिसमे चार पाद हैं दीक्षपाद,संग्रहपाद,सिद्धिपाद ओर प्रयोगपाद। इस उपवेद में अस्त्र शस्त्रों को ग्रहण, शिक्षण,अब्यास,और प्रयोग करने के बारे में बताया गया है।कोदंडमंडन’ धनुविद्या का बड़ा ही प्रामाणिक ग्रंथ माना जाता है।
  • सामवेद का उपवेद संगीत वेद है जिसमे गीत, वाद्य नृत्य के ग्रहण,सिद्धांतों,प्रदर्शन ओर प्रयोग के बारे में बताया गया है। इस वेद के आचार्य भरतमुनी हैं।
  • अर्थशक्षत्र अथर्ववेद का उपवेद हैं।इसमे रानीति ओर दंडनीति के बार में बताया गया हैं।बृहस्पति, उशना, विशालक्ष, भरद्वाज, पराशर आदि इसके प्रधान आचार्य हैं। शिल्पशास्त्र’ की गणना भी इसी उपवेद के अंतर्गत की जाती है।
  • आयुर्वेद को ऋग्वेद का उपवेद माना गया है।इसके आठ स्थान माने गए हैं जिनके नाम इस प्रकार से है -सूत्र, शारीर, ऐंद्रिय, चिकित्सा, निदान, विमान, विकल्प तथा सिद्धि आदि। इनके मुख्य आचार्य है -ब्रह्म, प्रजापति, आश्विन्‌, धन्वंतरि, भरद्वाज, आत्रेय, अग्निवेश आदि।

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